सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 2019 के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी, जिसमें भाजपा नेता को 2014 के चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी ना देने के लिए मुकदमा चलाने के लिए कहा गया था। फडणवीस का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत को 1 अक्टूबर, 2019 के फैसले की फिर से जांच करने की आवश्यकता है।
पिछले साल के अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को अलग कर दिया था जिसमें फडणवीस को क्लीन चिट दे दी थी और यह माना था कि उनका अपराध ऐसा नहीं है जो जन प्रतिनिधित्व कानून (आरपीए) के तहत आए। बता दें कि देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने का आरोप है।